गुरुवार शाम रूसी राष्ट्रपति भारत की जमीन पर उतर जाएंगे. दो दिनों की भारत यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे. कई डील साइन होंगी. वैसे उनके साथ कई रूसी मंत्री भी साथ होंगे. साथ ही होगा बिजनेस टाइकूंस का ऐसा दल, जिसमें एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी का दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी साथ होगा. जी हां. यहां बात उस कंपनी की हो रही है, जिसका अंबानी या यूं कहें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ काफी गहरा रिश्ता है. साथ ही इस कंपनी पर ग्लोबली अमेरिकी राष्ट्रापति डोनाल्ड ट्रंप ने बैन लगा दिया है |
इस कंपनी नाम है रोसनेफ्ट. जिसके हेड इगोर सेचिन भी रूसी राष्ट्रपति के साथ भारत आ रहे हैं. जिनके संबंध मुकेश अंबानी के साथ काफी अच्छे हैं. रोसनेफ्ट के ऑयल को रिफाइन कर मुकेश अंबानी ने पूरे यूरोप को पेट्रोल-डीजल सप्लाई किया. साथ ही कोविड और रूस यूक्रेन वॉर के उस दौर में भारत के एक्सपोर्ट को बेहतर रखने में मदद की. अब जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने रोसनेफ्ट पर प्रतिबंध लगाया है. तब से रिलायंस और भारत के लिए थोड़ी मुश्किलें खड़ी हुई हैं. साथ ही उन्हें एक बार फिर से अमेरिका और मिडिल ईस्ट की ओर रुख करना पड़ रहा है. आइए इस पूरे मामले को समझने की कोशिश करते हैं |
रिलायंस से हुई थी 10 साल की डील
एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी की अध्यक्षता वाली रिलायंस, पश्चिमी गुजरात में दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स का संचालन करती है. रिलायंस ने 2024 में लगभग 500,000 बीपीडी खरीदने के लिए रोसनेफ्ट के साथ 10 साल का समझौता किया है. वहीं कुछ हफ्ते पहले तक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारत को भेजे जाने वाले 1.7-1.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) रियायती रूसी कच्चे तेल का लगभग आधा हिस्सा खरीदा है. जिसमें काफी हिस्सेदारी रोसनेफ्ट की है |
रूस की सबसे बड़ी और सबसे वैल्यूएशन सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच हुई ये डील अब तक की सबसे बड़ी एनर्जी डील थी. जिसकी वैल्यू सालाना 13 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूसी तेल की कीमतों में काफी कमी देखने को मिली थी. एक समय भारत के ऑयल बास्केट में रूसी तेल की हिस्सेदारी ना के बराबर थी, जो मौजूदा समय में 40 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है. साथ ही रूस भारत का सबसे बड़ा ऑयल सप्लायर भी है |
ट्रंप ने लगाया था बैन
जब से ट्रंप अमेरिका के सत्ता में आए हैं. तब से वह रूस और यूक्रेन के बीच के वॉर को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं. इसी प्रयास के तहत ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाए कि भारत रूस की वॉर मशीन को फ्यूल देने का काम कर रहा है. ज्यादा से ज्यादा तेल खरीदकर डॉलर दे रहा है. जिससे रूस को यूक्रेन के खिलाफ यूद्ध करने में मदद मिल रही है. इन आरोपों के बाद ट्रंप ने भारत पर रूस तेल खरीदने को लेकर 25 फीसदी एक्ट्रा टैरिफ भी लगाया. कुछ हफ्तों पहले ट्रंप रूसी ऑयल कंपनी रोसनेफ्ट पर बैन भी लगा दिया. जिसकी वजह से रिलायंस के अलावा देश की दूसरी रिफाइनरीज को भी हाथ खींचने पड़े |
पुतिन और मोदी पर टिकीं निगाहें
तेल के मोर्चे पर अब रूस भी भारत के लिए काफी अहम पार्टनर बन गया है. ऐसे में रूस बिल्कुल भी नहीं चाहेगा कि ट्रंप के बैन के कारण रूस का सबसे बड़ा ऑयल क्लाइंट हाथ से निकल जाए. यही वजह है कि रूस के रोसनेफ्ट के अधिकारी भी साथ में भारत दौरे पर आ रहे हैं. प्रतिबंधों के दबाव में कुछ भारतीय रिफाइनरियों द्वारा आयात बंद करने के बाद, मास्को चाहता है कि भारत, जो समुद्री तेल का उसका प्रमुख ग्राहक है, ज्यादा से ज्यादा खरीदारी जारी रखे. रूस, भारत का प्रमुख तेल सप्लायर है, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल इंपोर्टर और कंज्यूमर है |
इस महीने भारत का कच्चा तेल आयात कम से कम तीन साल के निचले स्तर पर पहुंचने वाला है क्योंकि वाशिंगटन ने रूस के शीर्ष दो तेल उत्पादकों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर प्रतिबंध कड़े कर दिए हैं. सरकारी रिफाइनरियों में, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन गैर-प्रतिबंधित संस्थाओं से रूसी तेल खरीद रहा है, जबकि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ऑर्डर के लिए एडवांस बातचीत कर रहा है. रूस के टॉप भारतीय तेल ग्राहक, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कहा है कि वह 22 नवंबर के बाद आने वाले रूसी तेल को अपने घरेलू-केंद्रित प्लांट में प्रोसेस्ड करेगा |
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