जब से दिसंबर का महीना शुरू हुआ है. तब से देश को इकोनॉमी के मोर्चे पर कोई खास खबर नहीं मिली है. जहां सरकार की जीएसटी से कमाई कम हुई है. वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार में गिरावट भी देखने को मिली है. अब रुपया भी लगातार गिर रहा है, जो कि पहली बार ऐतिहासिक रूप से पहली बार 90 के पार चला गया है. अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में रुपए में और भी गिरावट देखी जा सकती है, और आंकड़ां 91 के लेवल के पार जा सकता है. वैसे रुपए में गिरावट के कई नुकसान है |
ये नुकसान आम लोगों की जेब से काफी जुड़े हुए हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर कुछ फायदे भी हैं. जिनके बारे में बातें काफी कम होती हैं. रुपए के लोअर लेवल पर जाने से भारतीय एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा. विदेशी जमीन पर भारत का सामान सस्ता होगा तो बिक्री और डिमांड दोनों में बढ़ोतरी होगी. जिससे देश की इकोनॉमी और दुनिया के बाजार में भारत की साख में इजाफा होगा. इसके अलावा हाई टैरिफ से देश को कुछ राहत भी मिलेगी |
वहीं दूसरी ओर देश के आईटी सेक्टर को इससे काफी राहत मिलेगी. भारत की आईटी कंपनियों की सर्विस विदेशों में काफी ज्यादा है. ऐसे में एआई की मार झेल रही इन कंपनियों को रुपए में गिरावट से काफी फायदा होता है. जिससे देश की इकोनॉमी को भी मजबूती मिलती है. वहीं रुपए में गिरावट भारत में आने वाले रेमिटेंस में बढ़ोतरी कर सकता है. भारत में ज्यादा डॉलर आएगा और लोगों के हाथों में रुपया भी ज्यादा होगा. आइए आपको भी इन तमाम फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं |
निर्यात को बढ़ावा, हाई से टैरिफ से राहत
रुपए की गिरावट से भारत के एक्सपोर्ट अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे, जिससे हाई अमेरिकी टैरिफ का कुछ प्रभाव कम होगा. रुपए का रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट (REER) अक्टूबर 2025 में एक साल पहले के 107.27 से घटकर 97.47 हो गया है, जो दर्शाता है कि भारतीय करेंसी ओवरवैल्यूड से अंडरवैल्यूड की ओर बढ़ी है. इससे निर्यात को लाभ होगा और सस्ते चीनी इंपोर्ट पर अंकुश लगेगा. यह लगातार जारी ट्रेड इंबैलेंस को दूर करने के लिए काफी अहम है |
आईटी और फार्मा उद्योग को फायदा
एआई की मार झेल रहे आईटी उद्योग के लिए खुश होने वाली बात है. चूंकि इसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा डॉलर में है, इसलिए रुपए की गिरावट से कमाई में बढ़ोतरी होती है. इससे उन्हें ग्लोबली कंप्टीशन करने में काफी मदद मिलती है. रुपए की गिरावट ने पहले भी सर्विसेज के एक्सपोर्ट को बढ़ावा दिया. इसी तरह, फार्मा सेक्टर एक बड़ा एक्सपोर्टर है और रुपए में गिरावट से उसे काफी फायदा हो सकता है |
रेमिटेंस को मिल सकता है बढ़ावा
रुपए में गिरावट प्रवासी भारतीयों को घर पैसा भेजने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है क्योंकि अब डॉलर भारतीय करेंसी में ज़्यादा राशि देगा. देश को वित्त वर्ष 2025 में अब तक का सबसे ज़्यादा 135.5 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ, जो एक साल पहले 118.7 अरब डॉलर से ज़्यादा है. ये इनफ्लो, हाई सर्विस एक्सपोर्ट के साथ मिलकर, ट्रेड डेफिसिट को कम करने में काफी मदद करते हैं |
डॉलर के सामने कितना टूटा रुपया?
2025 में अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया 5 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है. जिसकी वजह से डॉलर के सामने प्रदर्शन करने वाली एशिया की सबसे खराब करेंसी बन गई है. रुपये को 80 डॉलर से 90 डॉलर तक गिरने में सिर्फ 773 कारोबारी सत्र लगे हैं. बुधवार को, केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री में गिरावट कम होने से पहले, करेंसी 90.30 के इंट्राडे निचले स्तर पर आ गई. यह पिछले सत्र के 89.88 के मुकाबले 90.20 पर बंद हुआ |
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