व्यापार: जीएसटी दरों में कटौती से खाने-पीने के सामान समेत रोजमर्रा की अन्य वस्तुएं सस्ती होने से खुदरा महंगाई अक्तूबर, 2025 में घटकर रिकॉर्ड निचले स्तर 0.25 फीसदी पर आ गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई का यह आंकड़ा वर्तमान शृंखला (आधार वर्ष 2012) में सबसे कम है। इसमें जनवरी, 2014 से आंकड़े शामिल हैं। खुदरा महंगाई की दर सितंबर, 2025 में 1.44 फीसदी और अक्तूबर, 2024 में 6.21 फीसदी रही थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने बुधवार को आंकड़े जारी कर बताया, सब्जी, फल, अंडा जैसे खाद्य उत्पादों के साथ आम लोगों के उपयोग वाली करीब 380 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में कटौती से महंगाई दर में नरमी आई है। खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर अनुकूल तुलनात्मक आधार प्रभाव का असर भी देखने को मिला। आंकड़ों के मुताबिक, सब्जियों, फल, अनाज समेत अन्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट से खाद्य महंगाई अक्तूबर में घटकर शून्य से नीचे 5.02 फीसदी पर आ गई। सितंबर में खाने-पीने की वस्तुओं की महंगाई दर (-)2.33 फीसदी और अक्तूबर, 2024 में 10.87 फीसदी थी।
दिसंबर में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती को मिल सकता है समर्थन: इक्रा
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, खाद्य कीमतों में नरमी के साथ खपत वाली कई वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाए जाने से महंगाई में कमी आई है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) 2025-26 के लिए अपने खुदरा महंगाई अनुमान को 2.6 फीसदी से और कम कर सकती है। नायर ने कहा, अक्तूबर के आंकड़े दिसंबर में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती का समर्थन करेंगे। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से ऊंची न रहे।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भी मिली राहत
खुदरा महंगाई में ग्रामीण और शहरों इलाकों में भी गिरावट दर्ज की गई है। अक्तूबर में ग्रामीण क्षेत्रों में सीपीआई मुद्रास्फीति की दर सितंबर के 1.07 फीसदी से घटकर शून्य से नीचे 0.25 फीसदी पर आ गई। शहरी इलाकों में महंगाई दर 1.83 फीसदी की तुलना में कम होकर पिछले महीने 0.88 फीसदी के स्तर पर आ गई।
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