वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका पर तीखा प्रहार करते हुए 2026 के जी20 शिखर सम्मेलन से उसे बहिष्कृत करने का ऐलान किया है। ट्रुथ सोशल पर पोस्ट के जरिए उन्होंने कहा कि फ्लोरिडा के मियामी में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में दक्षिण अफ्रीका को निमंत्रण नहीं भेजा जाएगा। ट्रंप का गुस्सा दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा पर केंद्रित है, जिन्हें उन्होंने श्वेत समुदाय के अधिकारों की रक्षा में नाकाम बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत किसानों पर खुले आम अत्याचार हो रहे हैं, उनकी हत्याएं की जा रही हैं और जमीनें जबरन हड़पी जा रही हैं। ट्रंप ने इसे श्वेत नरसंहार करार दिया, जो अफ्रीका में डच, फ्रेंच और जर्मन सेटलर्स के वंशजों के खिलाफ मानवाधिकार हनन का उदाहरण है।
इससे पहले, दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में नवंबर 2025 में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने बहिष्कार किया था। सम्मेलन के घोषणापत्र पर अमेरिका ने हस्ताक्षर नहीं किए और कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद नहीं था। परंपरा के अनुसार, अध्यक्षता सौंपने के लिए प्रतीकात्मक लकड़ी का हथौड़ा सौंपा जाता है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने अमेरिकी दूतावास के कनिष्ठ अधिकारी को यह सम्मान देने से इनकार कर दिया, जिसे ट्रंप ने अपमान माना। सोमवार को अमेरिका को जी20 की अध्यक्षता मिली, लेकिन खाली कुर्सी को ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई। ट्रंप ने इसे दक्षिण अफ्रीका की अनुचित हरकतों का सबूत बताते हुए सभी अमेरिकी भुगतान और सब्सिडी तत्काल रोकने का आदेश दिया। फरवरी से ही अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका को सहायता रोक दी थी, जिसमें एचआईवी कार्यक्रमों के लिए 500 मिलियन डॉलर से अधिक शामिल हैं।
ट्रंप ने जोर देकर कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने अपनी कारगुजारियों से साबित कर दिया है कि वह जी20 सदस्यता के लायक नहीं। मई में ओवल ऑफिस में रामाफोसा से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने वीडियो दिखाकर श्वेत किसानों पर अत्याचार के दावे पेश किए थे, लेकिन रामाफोसा ने इन्हें खारिज कर दिया। दक्षिण अफ्रीकी अपराध आंकड़ों के अनुसार, श्वेत किसानों की हत्याएं कुल 27,000 वार्षिक हत्याओं का मात्र 1 प्रतिशत हैं, और ये दावे व्यापक रूप से खारिज हो चुके हैं।
रामाफोसा ने ट्रंप के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और गलत सूचनाओं पर आधारित बताया। उन्होंने कहा कि जोहान्सबर्ग सम्मेलन बहुपक्षीयता का प्रतीक था और दक्षिण अफ्रीका सहयोग की भावना से जी20 में भाग लेना चाहता है। रामाफोसा के कार्यालय ने इसे दंडात्मक कदम करार दिया, जो अमेरिका-दक्षिण अफ्रीका संबंधों को और खराब कर सकता है। ट्रंप प्रशासन पोलैंड को 2026 सम्मेलन में ऊंचा दर्जा देने की योजना बना रहा है। यह विवाद अमेरिकी विदेश नीति में नस्लीय मुद्दों को उभार रहा है, जबकि दक्षिण अफ्रीका उपनिवेशवाद के प्रभावों से निपटने पर जोर दे रहा है।
———————–
📝 Disclaimer
The content of this post is not originally published by us. The news and information provided here are sourced from trusted online sources, including NewsOnline.co.in
. We share this content only for informational and educational purposes. All rights to the original content belong to their respective owners. If you are the original author or copyright holder and wish to have this content removed or modified, please contact us, and we will take immediate action.


