बीजिंग। एलियन को लेकर चीन ने बड़ा दावा किया है। यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने मंगल पर एलियन की गुफाएं देखी हैं और आने वाले समय में इंसान भी इन गुफाओं में रहे सकते हैं। बता ये चीन ने ये दावा ऐसे वक्त पर किया है जब पूरी दुनिया स्पेश पर काम कर रही है। चीन के शेन्जेन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मंगल ग्रह पर एक नए प्रकार की गुफा का पहला प्रमाण खोजा है। शोधकर्ताओं का दावा है कि ये गुफाएं कभी एलियन जीवन को पनपने के लिए जरूरी परिस्थितियां पैदा कर सकती थीं।
शोध में दावा किया गया है कि ये भूमिगत गुफाएं चट्टानों में पानी के प्रेशर से बनी हो सकती हैं। पृथ्वी पर ऐसी चट्टान संरचना को कार्स्टिक गुफा के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं की टीम ने इन गुफाओं में इंसानी रिसर्च तक की प्लानिंग कर ली है। उनका दावा है कि लाल ग्रह के लिए भविष्य के मिशनों को इन भूमिगत गुफाओं को टारगेट बनाना चाहिए। यहां पर प्राचीन जीवन के सबूत पाए जा सकते हैं, जो कभी इन जलमग्न गुफाओं में निवास करते थे। यही नहीं दावा ये भी किया जा रहा है कि इन गुफाओं को आश्रय और रिसर्च सेंटर के तौर पर भी उपयोग किया जा सकता है। टीम ने अपनी रिसर्च को ‘द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में पब्लिश किया है। जिसमें बताया गया है कि अभी तक खोजी गई मंगल ग्रह की अधिकांश गुफाएं लावा ट्यूब्स आकार की हैं, जो ग्रह पर ज्वालामुखी फटने का सबूत हैं। हालांकि, नई गुफाओं की खोज में शोधकर्ताओं ने ऐसे प्रमाण दिए हैं जो साबित करते हैं कि ये गुफाएं पानी के प्रेशर से तराशी गई हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्होंने जिन आठ कार्स्टिक गुफाओं की पहचान की है, उन्हें मंगल पर भविष्य के मानव या रोबोटिक मिशनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि ये प्राकृतिक आश्रय इस बात का सबूत हैं कि मंगल ग्रह पर जीवन संभव है।
मंगल ग्रह पर इंसानों के लिए शेल्टर बन सकती हैं ये गुफाएं
वैज्ञानिक सालों से मंगल पर प्राचीन जीवन के संकेतों की तलाश कर रहे हैं। हाल ही में पाई गईं ये चट्टानी संरचनाएं लाल ग्रह की सतह पर गंभीर धूल भरी आंधियों, हाई रेडिएशन और अत्यधिक तापमान बचाकर शेल्टर दे सकती हैं। चीन के शेन्जेन विश्वविद्यालय के चेन्यु डिंग और उनके सहयोगियों ने अपने अध्ययन के लिए आठ संभावित गुफा स्थलों पर शोध की थी, जिन्हें स्काईलाइट्स (रोशनदान) कहा जाता है। ये स्थल मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में हेब्रस वैलेस में स्थित हैं। इनमें आठ गड्ढे शामिल हैं जिन्हें पिछले मंगल मिशनों द्वारा मैप किया गया था।
शोधकर्ताओं ने इन गुफाओं की खोज के साथ एक बड़ा दावा कर दिया है। टीम का मानना है कि गुफा बनाने की प्रक्रिया पृथ्वी पर कार्स्टिक गुफा संरचनाओं के समान थी। हमारे ग्रह पर, ये गुफाएं आमतौर पर तब बनती हैं जब पानी घुलनशील चट्टान को घोल देता है। सॉल्यूशन केव्स के रूप में भी जानी जाने वाली, इनकी उत्पत्ति बड़ी भूमिगत दरारों से होती है जिन्हें पानी द्वारा चौड़ा किया जाता है और फिर गुफाएं तैयार होती हैं।
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